Saturday, March 15, 2025
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आलेख फाउंडेशन के सांस्कृतिक शोकेस ‘अनंत समागम’ का भव्य समापन

by POOJA BHARTI
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नई दिल्ली।

दिल्ली के त्रावणकोर पैलेस में आलेख फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘अनंत समागम’ का दो दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव संपन्न हुआ। इस महोत्सव का उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत और केरल की संस्कृतियों का संगम प्रस्तुत करना और इन क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना था। दिवाली के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में कला, संगीत, और पाक-कला के माध्यम से दोनों क्षेत्रों की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रदर्शन किया गया।

प्रदर्शनी और पाक-कला का संगम

अनंत समागम में पूर्वोत्तर और केरल से आए बुनकरों, शिल्पकारों और कलाकारों की प्रदर्शनी लगाई गई। फूड कोर्ट में दोनों क्षेत्रों के पारंपरिक व्यंजन और पाक-कला का प्रदर्शन हुआ। चर्चाओं के दौरान प्रसिद्ध शेफ राकेश रघुनाथन ने केरल के मंदिरों की पाक-कला और उससे जुड़ी परंपराओं पर रोचक जानकारी साझा की।

संस्थापक का विजन

आलेख फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. रेनी जॉय ने कहा कि अनंत समागम का उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत और केरल के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना है। यह महोत्सव हमें साझा सांस्कृतिक विरासत और रचनात्मकता का अनुभव कराने का एक मंच प्रदान करता है।

पैनल चर्चाएं और सांस्कृतिक विषय

महोत्सव में सांस्कृतिक और सामाजिक विषयों पर कई चर्चाएं हुईं, जैसे “भारतीय वस्त्रों में विरासत और नवाचार,” “महिलाओं की भूमिका,” “भारत की सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था,” और “सांस्कृतिक पर्यटन।” इन चर्चाओं में विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।

के-पॉप सनसनी ऑरा और संगीत प्रस्तुतियां

कार्यक्रम का आकर्षण के-पॉप कलाकार ऑरा का लाइव परफॉर्मेंस रहा, जिसमें उन्होंने असमिया और मलयालम में गीत गाकर सभी का दिल जीत लिया। इसके अलावा मलयालम रॉक बैंड एवियल और रूडी एंड द कूल कैट्स ने भी अपने संगीत से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।

फैशन शो और सांस्कृतिक पोशाकें

कार्यक्रम के समापन पर फैशन शो आयोजित किया गया, जिसमें डिजाइनर लिज़ा वर्मा और सोनम दुबल सहित अन्य प्रसिद्ध डिजाइनरों ने पूर्वोत्तर और केरल के पारंपरिक वस्त्रों को आधुनिक अंदाज में पेश किया।

सांस्कृतिक और सरकारी सहयोग

अनंत समागम को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, कपड़ा मंत्रालय और केरल सरकार सहित कई संस्थानों का समर्थन मिला, जिससे यह महोत्सव भारत के पारंपरिक शिल्प और सांस्कृतिक धरोहर के प्रचार में सफल रहा।

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