Monday, January 13, 2025
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1984 दंगा पीड़ितों को बड़ी राहत, सरकारी नौकरी में विशेष छूट को एलजी ने दी मंजूरी

by POOJA BHARTI
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नई दिल्ली,


1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एक अहम कदम उठाया है। एलजी ने सिख दंगा पीड़ितों के रोजगार के लिए सरकारी सेवा में मल्टी-टास्किंग स्टाफ (MTS) के पदों के लिए़ शैक्षणिक योग्यता में पूरी छूट तथा 55 वर्ष तक की आयु में छूट को मंजूरी दी है। एलजी के इस फैसले से 88 आवेदकों को फायदा होने की उम्मीद है। इस संबंध में बीते दिनों दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के जन प्रतिनिधियों और पीड़ितों ने उपराज्यपाल से मुलाकात कर ये मांग की थी।

1984 के सिख दंगा पीड़ितों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 16 जनवरी 2006 को नौकरियों के प्रावधान सहित एक पुनर्वास पैकेज स्वीकृत किया था। इसके बाद चलाए गए विशेष अभियान में राजस्व विभाग को 72 आवेदन मिले, जिनमें से तत्कालीन उपराज्यपाल से उम्र में छूट लेकर 22 आवेदकों को नियुक्ति दी गई थी। अक्टूबर 2024 में उपराज्यपाल सक्सेना ने विशेष अभियान के दौरान प्राप्त कुल 72 में से छूटे हुए 50 आवेदकों को एमटीएस पद के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता में पूर्ण छूट दी है।

नौकरी में छूट से 88 आवेदकों को फायदा: अब राजस्व विभाग को उन आवेदकों के बच्चों में से एक को रोजगार देने के मामलों पर कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया, जिनमें आवेदकों ने रोजगार की आयु पार कर ली है। प्राप्त निर्देशों के बाद, राजस्व विभाग ने 28 नवंबर 2024 से 30 नवंबर 2024 के दौरान विशेष शिविर आयोजित किए और प्रमुख समाचार पत्रों में नोटिस जारी कर 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के परिवार के सदस्यों को रोजगार के लिए आवेदन आमंत्रित किए। इसके बाद अब कुल 199 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 88 उम्मीदवार पात्र पाए गए, लेकिन ये सभी आयु सीमा से ऊपर थे और कुछ आवश्यक शैक्षणिक योग्यता से भी चूक गए। अब शैक्षणिक योग्यता व आयु सीमा में छूट के लिए उपराज्यपाल से मंजूरी मिलने से सरकारी सेवा में एमटीएस के रूप में नियुक्ति के लिए 88 आवेदकों की बाधाएं दूर हो जाएंगी।

अल्पसंख्यक समुदाय पर अत्याचार किए गए: उपराज्यपाल की सहमति के अनुसार, उन्होंने विशेष रूप से 1984 के सिख दंगों के पीड़ितों की दुर्दशा का उल्लेख किया है, जिसे उन्होंने भारतीय लोकतांत्रिक परंपराओं पर एक धब्बा बताया है, जहां एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय पर भयानक अत्याचार किए गए, मानवाधिकारों के सभी मानकों का उल्लंघन किया गया और जिससे कई परिवार प्रभावित हुए

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