नई दिल्ली।
Decision on alderman appointment in MCD: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में एल्डरमैन (मनोनीत पार्षद) की नियुक्ति के अधिकार को लेकर अपना फैसला सुना दिया है। इसका अधिकार एलजी के पास ही रहेगा। इसी के साथ आम आदमी पार्टी को झटका लगा है। बता दें कि यह मामला पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। आम आदमी शासित एमसीडी में 10 मनोनीत पार्षद (एल्डरमैन) की उपराज्यपाल द्वारा नियुक्ति करने के विरोध में आम आदमी पार्टी सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी।
15 महीने बाद आया फैसला:
सोमवार को न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एलजी स्वतंत्र रूप से एमसीडी में 10 एल्डरमैन को नामित कर सकते हैं। उन्हें निर्वाचित सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि यह संसद द्वारा बनाया गया कानून है, जो एलजी द्वारा प्रयोग किए गए विवेक को संतुष्ट करता है। क्योंकि कानून के लिए उन्हें ऐसा करना आवश्यक है और यह अनुच्छेद 239 के अपवाद के अंतर्गत आता है। यह सन् 1993 का दिल्ली नगर निगम का अधिनियम था, जिसने सबसे पहले नामांकन की शक्ति एलजी को दी थी। अदालत द्वारा मामले पर सुनवाई पूरी होने के लगभग 15 महीने बाद यह फैसला आया।
ये भारतीय लोकतंत्र के लिए झटका:संजय सिंह
इस फैसले पर अपनी असहमति जताते हुए आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा है कि “मुझे लगता है कि ये भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा झटका है और आप चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर सारे अधिकार एलजी को दे रहे हैं। ये लोकतंत्र और भारत के संविधान के लिए अच्छा नहीं है।’ मैं पूरे सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि हम इस फैसले से पूरी तरह असहमत हैं। ये फैसला लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है और सुनवाई के दौरान कोर्ट की टिप्पणियों के बिल्कुल विपरीत है। पूरा आदेश पढ़ने के बाद हम रणनीति बनाएंगे कि आगे क्या करना है। “
ये हैं 10 एल्डरमैन:
पिछले वर्ष चार जनवरी में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 10 लोगों को निगम सदन में मनोनीत पार्षद (एल्डरमैन) नियुक्त किए थे। इनके नाम रोहताश कुमार, कमलजीत सिंह, राजपाल राणा, संजय त्यागी, मोहन गोयल, राजकुमार भाटिया, महेश सिंह तोमर, मुकेश मान, लक्ष्मण आर्य और विनोद कुमार हैं।