अलवर।
अलवर जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पांडुपोल हनुमान मंदिर जाने वाले भक्त अब मंदिर में सवामणी व भंडारा नहीं कर सकेंगे। इसके लिए वन विभाग ने मंदिर प्रशासन को मौखिक निर्देश जारी किए हैं। इसके बाद भंडारा व सवामणी करने पर यहां रोक लग गई है। वन क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण व वन्य जीवों की सुरक्षा को देखते हुए इस तरह के निर्देश जारी किए हैं।
वन विभाग के इस निर्देश से हनुमान भक्तों में निराशा छाई हुई है। क्योंकि भक्त यहां दर्शन कर मनोकामना पूरी करने की आस लेकर आते हैं। मनोकामना पूरी होने पर सवामणी बोली जाती है। अब भक्त यहां सवामणी नहीं कर पा रहे हैं। दूर-दूर से आ रहे भक्त सवामणी के सामान के साथ या तो वापस लौट रहे हैं या फिर अन्य हनुमान मंदिर में यह आयोजन कर रहे हैं।
मंदिर के पुजारी चेतन शर्मा ने बताया कि पिछले सप्ताह ही वन विभाग ने बैठक बुलाकर मंदिर परिसर में प्रसाद नहीं बनाने, सवामणी नहीं करने निर्देश दिए हैं। आचार संहिता के बाद इसे लिखित रूप में दिया जाएगा।
गौरतलब है कि सरिस्का टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आने वाला पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर जिले के भक्तों के लिए ही नहीं बल्कि देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा का केंद्र है। प्रत्येक मंगलवार, शनिवार, पूर्णिमा के अलावा पांड़ुपोल व भर्तृहरि मेले के दौरान यहां भक्तों की विशेष भीड़ रहती है। भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर भक्त यहां पर सवामणी व भंडारा करते हैं। सवामणी के दौरान खासतौर से दाल बाटी चूरमा बनाकर पहले हनुमानजी को भोग लगाया जाता है। इसके बाद सवामणी में प्रसाद खिलाया जाता है।