पुस्तक – अनुपमा ( सब की सहेली ) पत्रिका
द्वितीय अंक – बेहतर समाज
समीक्षक – सुशी सक्सेना
अनुपमा एक ऐसी पत्रिका है जिसमें नये पुराने छोटे बड़े सभी तरह के कलाकारों को अपनी लेखनी चलाने का अवसर प्रदान किया जाता है और उन्हें सम्मान पत्र से सम्मानित किया जाता है। अनुपमा पत्रिका का द्वितीय अंक जिसका विषय बेहतर समाज था। उसका सफल प्रकाशन किया गया। उसमें बहुत से देश विदेश के रचनाकारों ने अपनी रचनाएं प्रकाशित करवाई। और जैसा की द्वितीय अंक के विषय बेहतर समाज का उद्देश्य था उसी के अनुरूप अपने सृजन के माध्यम से बताया बेहतर समाज का निर्माण करना एक जटिल और बहु-आयामी प्रक्रिया है, जिसमें विभिन्न कारकों का योगदान होता है। अनुपमा के इस अंक में बेहतर समाज की अवधारणा, इसके महत्वपूर्ण पहलुओं और समाज सुधार के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की गई है।
बेहतर समाज वह है जहां हर व्यक्ति को समान अधिकार और अवसर मिलते हैं, न्यायपूर्ण और समावेशी वातावरण होता है, और लोग सामूहिक रूप से अपने जीवन को सुधारने के लिए काम करते हैं। बेहतर समाज का निर्माण एक सामूहिक प्रयास है, जिसमें हर व्यक्ति की भागीदारी आवश्यक है। शिक्षा, स्वास्थ्य, समानता, आर्थिक विकास, और पर्यावरणीय स्थिरता पर ध्यान देकर हम एक न्यायपूर्ण, समृद्ध और सतत समाज का निर्माण कर सकते हैं। समाज सुधार की दिशा में उठाए गए छोटे-छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं, जिससे हर व्यक्ति का जीवन बेहतर हो सके।
इसके लिए सभी से अनुरोध है कि एक बार अनुपमा पत्रिका के इस अंक को अवश्य पढ़ें।
इसकी शुरुआत करने वाली साहित्य के क्षेत्र की एक नवोदित लेखिका सुशी सक्सेना है। और इसके सहयोगी सलाहकार डौली झा, प्रशान्त श्रीवास्तव और कनिका शर्मा जी हैं। जिनका सफलता के इस मुकाम तक पहुंचाने में इनका अमूल्य सहयोग शामिल है।
जिन्होंने इसे बेहद लोकप्रिय बनाने का संकल्प लिया है। साथ ही हमारे मीडिया प्रभारी वतन केसरी न्यूज पेपर को भी हार्दिक धन्यवाद।
पत्रिका के द्वितीय अंक में सभी वर्ग के लोगों के लिए सभी तरह की आवश्यक जानकारी साहित्य के रूप में मिलेगी। साथ ही इसमें कहानी, गीत, कविता, कथा, लघुकथा, आत्मकथा, आलेख, संस्मरण, गृहसज्जा, फैशन, खान पान, रिश्ते, ब्यूटी टिप्स, हेल्थकेयर, बुक समीक्षा, यात्रा, करियर, पैरेन्टिंग, परवाह आदि सभी तरह की रचनाएं पढ़ने को मिलेंगी। इसे यूनिक फील पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित किया गया है।