Monday, December 23, 2024
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पहलवानों के गांव सर्फाबाद से उभरा रेसिंग का चैंपियन

by POOJA BHARTI
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नोएडा का सर्फाबाद गांव, जिसे पहलवानों के गांव के रूप में जाना जाता है, अब रेसिंग की दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है। इस गांव के 13 वर्षीय शौर्य यादव ने अपनी अनोखी प्रतिभा से पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है। शौर्य ने पिंक फाल्कन जयपुर, राजस्थान में आयोजित रेड रैबिट रेसर्स चैंपियनशिप में फाइनल में पहुंचकर शानदार प्रदर्शन कर गांव और परिवार का नाम रोशन किया।

स्वतंत्रता सेनानी परिवार से हैं शौर्य यादव
शौर्य यादव का परिवार ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखता है। उनके परदादा स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना योगदान दिया। उनके दादा, स्वर्गीय श्याम सिंह यादव, अपने समय के प्रभावशाली व्यक्तित्व थे और प्रधान तथा जिला पंचायत सदस्य के रूप में जनसेवा करते रहे।
शौर्य की माँ, वर्षा यादव, वर्तमान में बदायूं से जिला पंचायत अध्यक्ष हैं, जो अपने नेतृत्व और सेवा के लिए जानी जाती हैं। उनके पिता, जितेंद्र यादव, पूर्व एमएलसी और बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं, जिन्होंने राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस गौरवशाली पारिवारिक विरासत के साथ, शौर्य यादव ने खेल की दुनिया में कदम रखा और अपनी मेहनत तथा दृढ़ संकल्प से न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन किया।

रेड रैबिट रेसर्स चैंपियनशिप में 40 प्रतिभागियों को पछाड़ा
पिंक फाल्कन रेड रैबिट रेसर्स चैंपियनशिप में कुल 40 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें से अधिकांश की उम्र 20 वर्ष से अधिक थी। शौर्य इस प्रतियोगिता के सबसे युवा ड्राइवर थे, लेकिन उनकी प्रतिभा और साहस ने उन्हें सबसे आगे ला खड़ा किया।
चैंपियनशिप चार राउंड में आयोजित की गई थी—क्वालीफाइंग, हीट, सेमीफाइनल और फाइनल। सेमीफाइनल में शौर्य ने 23.8 सेकंड के सर्वश्रेष्ठ लैप समय के साथ सभी को पछाड़ते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया।

13 साल की उम्र में हासिल की बड़ी उपलब्धि

शौर्य यादव ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से साबित किया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। फाइनल में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से उन्होंने सभी को चकित कर दिया। हालांकि वे खिताब अपने नाम नहीं कर सके, लेकिन इतनी कम उम्र में फाइनल तक पहुंचना और चैंपियनों के बीच जगह बनाना किसी जीत से कम नहीं है।

शौर्य की इस उपलब्धि ने न केवल उन्हें बल्कि उनके परिवार और सर्फाबाद गांव को भी गर्व का अवसर दिया है। उनका यह प्रदर्शन युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो दिखाता है कि मेहनत और आत्मविश्वास से बड़ी से बड़ी चुनौती को पार किया जा सकता है।

गांव के लिए प्रेरणा बने शौर्य
शौर्य यादव की यह उपलब्धि उनके गांव सर्फाबाद के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है। जहां सर्फाबाद पहले पहलवानी के लिए प्रसिद्ध था, अब शौर्य ने गांव को रेसिंग के क्षेत्र में भी पहचान दिलाई है।

शौर्य की इस जीत ने उन्हें नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। आने वाले समय में, वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए भारत का नाम रोशन करेंगे।

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