नोएडा-ग्रेटर नोएडा और यमुना विकास के 25 रुट होंगे; फंड में तीनों प्राधिकरण की होगी हिस्सेदारी
नोएडा,
नोएडा में वायबिलिटी गैप फंड (वीजीएफ ) मॉडल पर ई बसों का संचालन किया जाएगा। इससे न तो प्राधिकरण को घटा होगा और न ही बस संचालन करने वाली कंपनी को। प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ने बताया कि वीजीएफ का मतलब गैप को भरने से है। उदाहरण के लिए यदि एक बस दिन में 200 किमी चलती है।
जिसका खर्चा 1000 रुपए आता है। कंपनी टिकट के जरिए 700 रुपए रोजाना कमाती है। ऐसे में उसे 300 रुपए का लॉस न हो इसलिए प्राधिकरण उसे 300 रुपए ही देगा। इसकी हिस्सेदारी तीनों प्राधिकरण की होगी। इसके लिए एसपीवी गठित की जा चुकी है। जल्द ही तीनों प्राधिकरण की हिस्सेदारी तय हो जाएगी। इस मॉडल को बोर्ड में रखकर शासन भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि तैयारी पूरी हो चुकी है। जनवरी अंत तक कंपनी के चयन के लिए टेंडर प्रक्रिया की जाएगी। इसमें उसकी कंपनी का चयन किया जाएगा जो हमसे कम से कम वीजीएफ की मांग करेगा। बता दे नोएडा प्राधिकरण करीब 120 करोड़ रुपए सालाना वीजीएफ के तौर पर एनएमआरसी को भी देती है।
सीईओ ने बताया कि सबसे ज्यादा 13 रूट नोएडा में है। इसके बाद 5 रूट ग्रेटरनोएडा और दो यमुना विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में आते है। इसमें सबसे लंबा एक रुट नोएडा से जेवर तक का हो सकता है। इन रुट पर वायबिलिटी की स्टडी हो चुकी है। इन सभी रूटों को नोएडा के मेट्रो से जोड़ा जोड़ा जाएगा। ताकि दोनों को मुसाफिर मिल सके और लोगों को आने जाने में दिक्कत न हो। इन रूटो पर 500 ई बस चलेंगी। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 17 अप्रैल को पहली कॉमर्शियल फ्लाइट उड़ान भरेगी। उससे पहले यानी फरवरी में ही शहर में बसों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। सीईओ ने कहा कि इसके लिए किसी का इंतजार नहीं करना है।
एक बार फुल एंड फाइनल होते ही कंपनी के चयन के लिए टेंडर प्रकिया की जाएगी। ताकि लोगों को लोकल ट्रांसपोर्ट मिल सके। प्राधिकरण का चाहता है कि इन बसों की योजना को पीएम ई बस योजना से जोड़ा जाए। ताकि प्राधिकरण को रिबेट मिल सके। इससे प्राधिकरण पर वीजीएफ के भार में और कमी आ जाएगी। क्योंकि पीएम ई बस सर्विस योजना में वीजीएफ का काफी पैसा सेंटर गवर्नमेंट देती है। इसको लेकर अधिकारियों में मंत्रणा की जा रही है।