Monday, December 23, 2024
Home Breaking-News अर्जुन कपूर का हाशिमोटो डिजीज का खुलासा: जानें इस बीमारी के लक्षण और प्रभाव

अर्जुन कपूर का हाशिमोटो डिजीज का खुलासा: जानें इस बीमारी के लक्षण और प्रभाव

by POOJA BHARTI
0 comment

मुंबई।

बॉलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर ने हाल ही में बताया कि वे हाशिमोटो डिजीज से जूझ रहे हैं। डॉक्टर के पास जाने पर उन्हें इस बीमारी का पता चला, क्योंकि वे हद से ज्यादा थकान, वजन बढ़ने और अन्य परेशानियों से गुजर रहे थे। यह बीमारी उनकी मानसिक सेहत को भी बुरी तरह प्रभावित कर रही है। अर्जुन ने यह भी साझा किया कि उनकी मां और बहन भी इस बीमारी से पीड़ित हैं। हाशिमोटो नाम सुनते ही कई लोग इस बीमारी के बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि यह बीमारी क्या है और इसके प्रभाव क्या हो सकते हैं।

क्या है हाशिमोटो डिजीज?

मायोक्लीनिक के अनुसार, हाशिमोटो डिजीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो थायरॉयड ग्रंथि को प्रभावित करती है। थायरॉयड ग्लैंड, जो गले के निचले हिस्से में होती है, शरीर के कार्यों को बनाए रखने वाले हॉर्मोन उत्पन्न करती है। इस बीमारी में इम्यून सिस्टम की सेल्स थायरॉयड की हेल्दी सेल्स पर अटैक कर देती हैं, जिससे थायरॉयड हॉर्मोन का उत्पादन घट जाता है। इसके परिणामस्वरूप शरीर में थायरॉयड हॉर्मोन की कमी होने लगती है, जिसे हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं। इसे हाशिमोटो थायरॉयडाइटिस या क्रॉनिक ऑटोइम्यून थायरॉयडाइटिस भी कहा जाता है।

हाशिमोटो डिजीज के लक्षण और प्रभाव

थायरॉयड हॉर्मोन की कमी से कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे अधिक थकान, वजन बढ़ना, कब्ज, ठंड में असहजता, बालों का झड़ना, त्वचा का रूखापन और मांसपेशियों में कमजोरी। इसके अलावा, मानसिक थकावट, डिप्रेशन और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसी समस्याएं भी आ सकती हैं। कुछ मामलों में, गले के नीचे थायरॉयड ग्रंथि में सूजन हो सकती है, जिसे गोइटर कहा जाता है। यहां तक कि दिल की धड़कन धीमी हो सकती है और ब्लड प्रेशर में भी कमी आ सकती है।

कौन होता है हाशिमोटो डिजीज के ज्यादा जोखिम में?

यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन मिडिल एज की महिलाओं में इसका खतरा ज्यादा होता है। जिनके परिवार में पहले से यह बीमारी रही है, उन्हें इसका अधिक जोखिम होता है। इसके लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं, जिससे शुरुआती स्टेज में इस बीमारी का पता लगाना मुश्किल होता है। आमतौर पर, जब परेशानी बढ़ जाती है, तब इस बीमारी का सही डायग्नोसिस हो पाता है। ब्लड टेस्ट, फिजिकल एग्जामिनेशन और फैमिली हिस्ट्री के आधार पर इसे डिटेक्ट किया जा सकता है।

हाशिमोटो डिजीज का इलाज

इस बीमारी का मुख्य इलाज थायरॉयड हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी है, जिसमें सिंथेटिक थायरॉयड हॉर्मोन दिया जाता है। यह थायरॉयड की कार्यप्रणाली को सामान्य करता है और शरीर के अन्य कार्यों को संतुलित बनाए रखता है। सही मात्रा में हॉर्मोन देने के लिए मरीज को डॉक्टर की नियमित निगरानी में रखा जाता है। हालांकि हाशिमोटो डिजीज का पूरी तरह इलाज संभव नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित कर स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।

You may also like

Leave a Comment

Our Company

“हमारा न्यूज़ पोर्टल ताज़ा ख़बरों, उत्तेजक रिपोर्ट्स और गहराई से लिखे लेखों का एक संग्रह है। हम आपको जानकारी से लैस, विचारशीलता से भरपूर और समर्थनीय पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। हम आपके लिए सत्यता, विश्वासनीयता और गुणवत्ता को प्राथमिकता देते हैं।”

Laest News

@2024 – All Right Reserved. Designed and Developed by KGS Groups