Sunday, March 16, 2025
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1400 करोड़ के स्मारक घोटाले से जुड़े यूपीआरएनएन के तारविजिलेंस की छापेमारी में दस्तावेज किए गए बरामद, कई और अधिकारियों पर कसेगा शिकंजा

by POOJA BHARTI
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नोएडा।

नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और विजिलेंस टीम दोनों का शिकंजा कस रहा है। इसी पूछताछ में नोएडा के स्मारक घोटाले की परतें दोबारा से खुलने लगीं। जिन नामों का खुलासा मोहिंदर सिंह ने किया, उसमें उप्र राजकीय निर्माण निगम के भी अधिकारी शामिल हैं। इसी क्रम में विजिलेंस ने पूर्व परियोजना अपर प्रबंधक राजवीर सिंह यूपीआरएनएन के यहां छापेमारी की। इन सभी ने मिलकर आपसी साठगांठ करके पूर्व के शासन काल में अकूत संपत्ति कमाई। विजिलेंस लखनऊ की टीम ने नोएडा में राजवीर सिंह के चार ठिकानों पर एक साथ रेड की। यहां से महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए। विजिलेंस की टीम आय से अधिक संपत्ति मामले में 31 मई 2019 से राजवीर सिंह की जांच कर रही है।

पुख्ता सबूत हाथ लगने पर ही विजिलेंस लखनऊ ने मार्च 2024 को राजवीर सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद पर रहते हुए 1,78,27,143 रुपए की आय अर्जित की, जबकि खर्च 2,67,32,462 रुपए का दर्ज किया गया। इस प्रकार उनके द्वारा 89,05,319 रुपए का अतिरिक्त खर्चा किया गया, जिसकी जानकारी नहीं मिल सकी। ये पैसा कहां से आया, इसकी जांच अब परत दर परत की जा रही है।

जिसमें कई अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं। इसमें नोएडा प्राधिकरण और यूपीआरएनएन के अधिकारी शामिल हो सकते हैं। क्योंकि स्मारक निर्माण का काम यूपीआरएनएन ने किया, जबकि निगरानी और बाउचर साइन की जिम्मेदारी नोएडा प्राधिकरण के पास थी। साल 2007-2011 के दौरान उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और नोएडा में बनाए गए स्मारक और पार्कों के निर्माण और इस कार्य से जुड़े अन्य कार्यों में प्रयोग किए गए सैंडस्टोन की खरीद-फ़रोख़्त में अरबों रुपए का घोटाला हुआ था। इन स्मारकों में अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, मान्यवर काशीराम स्मारक स्थल, गौतम बु़द्ध उपवन, ईको गार्डन व नोएडा का राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल शामिल था। इसके लिए 42 अरब 76 करोड़ 83 लाख 43 हजार का बजट आवंटित हुआ था। जिसमें 41 अरब 48 करोड़ 54 लाख 80 हजार की धनराशि खर्च की गई थी। लोकायुक्त की जांच में 1400 करोड़ से ज्यादा का घोटाला सामने आया था। लोकायुक्त की जांच में सामने आया था कि नोएडा में स्मारक बनाने के लिए सिर्फ 84 करोड़ रुपए के एमओयू साइन किए गए थे। जबकि निर्माण में करीब 1 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए। विजिलेंस टीम ने जांच शुरू करने के बाद एक जनवरी 2014 को पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, नसीमुद्दीन सिद्दकी, सीपी सिंह, निर्माण निगम व पीडब्ल्यूडी के अधिकारी और कई स्टेकहोल्डर पर एफआईआर दर्ज की थी। घोटाले के समय मोहिंदर सिंह नोएडा प्राधिकरण के सीईओ थे और उनके पास प्रमुख सचिव आवास पद की जिम्मेदारी भी थी। विजिलेंस की शुरुआती जांच में सामने आया था कि घोटाले के दौरान प्रमुख सचिव आवास के रूप में मोहिंदर सिंह ने बिना प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति के कई कार्यों को किए जाने को मंजूरी दी थी। इसमें सीधे तौर पर कुछ नेताओं का हस्तक्षेप भी सामने आया था। जिनके कहने पर मोहिंदर सिंह ने स्वयं के स्तर से कई मामलों में सहमति दी थी। नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह से ईडी ने जब पूछताछ की उसके आधार पर विजिलेंस टीम ने भी नोटिस जारी कर मोहिंदर सिंह को पूछताछ के लिए बुलाया था। स्मारक घोटाले में करीब 8 घंटे तक पूछताछ के बाद तत्कालीन अधिकारियों के साथ 8 अधिकारियों के नाम मोहिंदर सिंह ने बताए थे। इसके बाद विजिलेंस टीम सक्रिय हुई और इसी का नतीजा है कि नोएडा में यूपीआरएनएन के अपर परियोजना प्रबंधक राजवीर सिंह के आवास और कार्यालय सहित कई जगह छापेमारी की है।

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