नई दिल्ली।
दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना और मुख्यमंत्री आतिशी के बीच फिर से टकराव देखने को मिला है इस बार मुद्दा तिहाड़ जेल में बंद कैदियों और दोषियों की शिकायतों की सुनवाई के लिए जेल में विजिटर्स बोर्ड का गठन का है। इसको लेकर एलजी ने पत्र लिखा है।
दरअसल विज़िटर्स बोर्ड का गठन पिछले 5 साल से पेंडिंग है। बोर्ड के गठन का मामला दिल्ली हाई कोर्ट में भी चल रहा है। सूत्रों की माने तो उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर कहा है कि दिल्ली सरकार एक के बाद एक तारीख देकर कोर्ट को गुमराह करती रही है। पिछले महीने 11 सितंबर को हाईकोर्ट ने इस संबंध में दिल्ली के गृह मंत्री को खुद हलफनामा दाखिल करने और गृह सचिव को 1 अक्टूबर यानि मंगलवार को कोर्ट में उपस्थित होने को कहा था। मगर मुख्यमंत्री ने कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले 30 सितंबर को उन्हें कानून द्वारा निर्धारित जिला जज की जगह जिला अधिकारी को अध्यक्ष के रूप में सलाहकार मंडल में नियुक्त करने की फाइल भेजी है।
उन्होंने कहा है कि वह हाईकोर्ट को बता रहे हैं कि फाइल उपराज्यपाल के पास है। ऐसे में उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को भेजे नोट में कहा है कि एक अक्टूबर को हाईकोर्ट में इसे पेश किया जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। जेलों में विज़िटर्स बोर्ड बनाने को लेकर एलजी द्वारा लगाए गए आरोपों पर आम आदमी पार्टी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उपराज्यपाल के पास दिल्ली के कुछ मंत्रियों पर निशाना साधने के अलावा कोई काम नहीं है।उपराज्यपाल सर्विसेज के प्रमुख हैं।
क्या है विजिटर्स बोर्डः
वर्ष 2019 में ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बोर्ड बनाने का आदेश दिया था। यह बोर्ड सजायाफ्ता कैदी वह दोषियों की शिकायतों को सुनने के लिए एक प्लेटफार्म के रूप में काम करता है। अधिकारियों को कैदियों की समस्या का हल निकालने में मदद देता है।