6 महिला शामिल, चला रहे थे काल सेंटर, 15 लाख करते थे डिमांड, 300 को बनाया शिकार
नोएडा।
थाना सेक्टर 63 पुलिस ने कनाडा, सर्बिया में जाकर नौकरी दिलाना का झांसा देने वाली 6 महिला और 3 पुरुष के गिरोह को पकड़ा है। ये लोग यहां कॉल सेंटर संचालित करके ठगी कर रहे थे। विदेश में जाकर नौकरी करने वाली की इच्छा रखने वालों का डेटा फेसबुक, इंस्टाग्राम से निकालकर उन्हे स्टोर कीपर, स्टोर सुपरवाइजर, एडमिन आदि पर नौकरी दिलाने का झांसा दिया जाता था। इनके कब्जे से 24 लैपटॉप, 01 एपल टैब, स्वाइप मशीन, पेमेंट क्यू आर कोड, 10 एंड्रॉयड मोबाइल फोन बरामद किए गए है। ये अब तक 300 से ज्यादा लोगों से ठगी कर चुके है। साइबर हैल्प डेस्क पर पिछले कुछ समय से जानकारी मिल रही थी कि सेक्टर-63 के ई-ब्लॉक के इ-57A में स्पार्क ओवरसीज नाम की एक कंपनी विदेश (कनाडा, सर्बिया आदि) में नौकरी दिलाने के नाम पर आवेदक के साथ धोखाधडी कर रही है। इस सबंध में प्रमोद राघवन पुत्र पी. के राघवन निवासी केरल ने शिकायत की थी। इस शिकायत पर साइबर एक्सपर्ट और पुलिस टीम ने छापा मारा। मौके पर जालसाज़ी का खेल चल रहा था। पुलिस ने 6 महिला और 3 पुरुष समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया। इनकी पहचान पंकज कुमार पुत्र गजेन्द्र पाल, सोनू कुमार पुत्र राकेश कुमार, राहुल सरोज पुत्र रामराज सरोज, मनप्रीत कौर पत्नी पंकज कुमार , प्रशंसा कुलश्रेष्ठ पुत्री मनोज कुलश्रेष्ठ, दिपाली पुत्री विजय कुमार, महिमा अग्रवाल पुत्री आर.एस अग्रवाल, ममता यादव पुत्री गोपाल राम यादव, तनिष्का शर्मा पत्नी ऐश्वर्य पाठक हुई है। डीसीपी ने बताया कि जैसे ही टीम अंदर पहुंची वहां मौजूद सोनू कुमार ने बताया कि वह कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत है। डायरेक्टर पंकज व मनप्रीत कौर के कहने पर फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि से ऐसे लोगों की डिटेल निकालते है। ये वे लोग होते है जो विदेश में जाकर नौकरी करना चाहते है। उसके बाद कंपनी की सेल्स टीम में बैठे लोग कॉल व वॉट्सऐप चैटिंग के माध्यम से विभिन्न देशों जैसे कनाडा, सर्बिया आदि में स्टोर कीपर, स्टोर सुपरवाइज़र, एडमिन आदि पदों पर नौकरी दिलवाने की बात कहते है।
केस-1 पुलिस ने अटैंड की कॉल
इस कंपनी में एक टेबल पर रखे एक लैपटॉप जिसमें वॉट्सऐप खुला हुआ था। वॉट्सऐप पर कॉल आ रही थी। कॉल करने वाले व्यक्ति से बात की गयी तो उसने अपना नाम मोहम्मद युनूस बताया। उसने बताया कि श्रीनगर का रहने वाला हूं। इन लोगो ने मेरे व मेरे 7-8 साथियों के साथ भी विदेश भेजने के नाम पर ठगी की है। काफी समय से मैं इनसे अपना पैसा वापस मांग रहा हूं लेकिन ये मेरा पैसा वापस नहीं कर रहे है।
केस-2 मौके पर पहुंचा एक पीड़ित
इसी क्रम में जांच के दौरान एक व्यक्ति भी वही मौके पर आ गया। जिसने अपना नाम ओम प्रकाश पुत्र गुरु प्रसाद निवासी रावतपार पोस्ट थुन्ही बाजार जिला गौरखपुर बताया। उसने कहा कि मैंने अपने बेटे योगेश की कनाडा में स्टोर मैनेजर के पद पर नौकरी लगवाने के लिये इन्हें एक साल पहले 70 हजार रुपए दिये थे। लेकिन न तो ये मेरे पैसे वापस कर रहे है और न ही मेरे बेटे की कही नौकरी लगा पाए। जब भी इनके ऑफिस में आकर अपने पैसे मागंता हूं तो ये मुझे बाद में आने के लिये कहकर भगा देते है।
कैसे बेरोजगारों को फंसाते थे ये भी जाने
ये फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि से ऐसे लोगों की डिटेल निकाल लेते थे जो विदेश में जाकर नौकरी करना चाहते है।
सेल्स टीम के लोग कॉल व वॉट्सऐप चैटिंग करके कनाडा के एलबर्टा, एडमन्टन में स्टोर कीपर, स्टोर सुपरवाइज़र एवं एडमिन आदि पदों पर एलएमआईए (वर्क वीजा) के माध्यम से नौकरी दिलवाने का प्रलोभन देते थे।
महीने के 1.5 से 2.0 लाख रुपए सैलरी की बात कही जाती थी। जिस पर आवेदक तैयार हो जाता था।
स्टोर कीपर के नाम पर 05 लाख रुपए, स्टोर सुपरवाइज़र के नाम पर 15 लाख रुपए व इसी प्रकार से अन्य पदों के अनुसार पैसे मागे जाते थे।
कुल रकम का 10 प्रतिशत आवेदक से फाइल आगे बढ़ाने के लिये तुरंत ले लिया जाता था और बाकी उसे नौकरी पर जाने के बाद।
पैसे लेने के बाद आवेदक को इन लोगों पर शक न हो इसलिए यह लोग उससे कागजात जैसे पासपोर्ट, आधार कार्ड आदि भेजने के लिये बोलते थे।
आवेदक के कागजात में कमी निकालकर उसको घुमाना शुरू कर देते थे। इन लोगों द्वारा ऐसे आवेदक को सिलेक्ट किया जाता था जो दूर दराज (गैर राज्य) के होते थे।
जिससे वह इन लोगों के आफिस में न आ सके और आवेदक का फोन आने पर उनको आगे का समय बताकर टालते रहते थे।
एक साल से चला रहे थे कॉल सेंटर
कंपनी के डायरेक्टर पंकज द्वारा बताया गया कि यह कंपनी उसकी पत्नी मनप्रीत कौर के नाम रजिस्टर्ड है। आवेदक को अपनी बातो पर यकीन दिलाने के लिये हम अपनी पहचान वाले जो पहले से कनाडा गए हुए है के वीजा और ऑफर लेटर व गूगल से निकाले हुए सैंपल आफर लेटर, वीजा व अन्य कागजात की फोटो को अपनी कंपनी के ग्राफीक डिजाइनर राहुल सरोज से बदलवा कर आवेदको को भेज देते थे। हमारे पास जिस भी आवेदक की फाइल आती थी हम केवल उसे नौकरी के पोर्टल पर अपलोड कर देते थें। जिससे आवेदक को बताया जा सके कि उसकी फाइल को आगे प्रोसेसिंग के लिए इमिग्रेसन डिपार्टमेंट में भेज दिया गया है। जबकि हमने न तो आज तक किसी की फाइल इमीग्रेसन डिपार्टमेन्ट में नौकरी के वीजा के लिए भेजी है। और न ही कनाडा या किसी अन्य देश में हमारा कोई एजेन्ट है जो किसी की फाईल को प्रोसेस करे। ये सब तो हम केवल आवेदकों से पैसा ठगने के उद्देश्य से करते थे।