मुंबई।
फिल्म ‘इमरजेंसी’ को लेकर कंगना रनौत की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ पर सिख कम्यूनिटी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है। इसी के चलते हाई कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर दो हफ्तों के लिए ब्रेक लगा दिया है।
मेकर्स ने खटखटाया हाई कोर्ट का रास्ता:
विवादों में घिरी फिल्म इमरजेंसी को सफलतापूर्वक रिलीज़ करवाने के लिए मेकर्स ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मणिकर्णिका और जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइडज के द्वारा निर्मित फिल्म को लेकर निर्माताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचकर कोर्ट से गुहार लगाई कि सेंसर बोर्ड को फिल्म का सर्टिफिकेट जल्द से जल्द जारी करने का आदेश दे। बता दें कि फिल्म 6 सितंबर को रिलीज होनी है, लेकिन कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को फिल्म को सर्टिफिकेट ना देने का आदेश दिया है।
इमरजेंसी के मेकर्स ने अपनी याचिका में कोर्ट में दावा किया है कि सेंसर बोर्ड ने ‘गैरकानूनी’ और ‘जानबूझकर’ फिल्म सर्टिफिकेट जारी करने में अड़चन पैदा कर रहा है। इमरजेंसी के लिए वकालत कर रहे वकील ने दावा किया है कि सेंसर बोर्ड फिल्म सर्टिफिकेट देने को तैयार है, लेकिन जानबूझकर लटका रखा है। जस्टिस बीसी कोलाबवाला और फिरदौस पूनीवाला की बेंच ने याचिका पर तत्काल सुनवाई की थी।
सिख समुदायों का है ये आरोप:
फिल्म इमरजेंसी को कंगना रनौत ने ही डायरेक्ट किया है और साथ ही वह फिल्म की निर्माता भी हैं। इस फिल्म में कंगना रनौत देश की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी का किरदार निभाने जा रही है। जब से फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ है, तब से सिख कम्यूनिटी गुस्से में उबाल खा रही है। सिख कम्यूनिटी का आरोप है कि ट्रेलर से पता चल रहा है कि उनके समुदाय को एक हत्यारे के रूप में दर्शाया जा रहा है।
कंगना ने अपन एक एक्स पोस्ट में लिखा है, आज मैं हर किसी की फेवरेट टारगेट बन गई हूं, देश को जगाने का मुझे यह सिला मिला है, वो नहीं जानते हैं कि मैं किस बारे में बात कर रही हूं, ना ही वो ये जानते कि मैं किस बारे में चिंतित हूं, क्योंकि वह शांति चाहते हैं, वह मेरी साइड नहीं लेना चाहते हैं, वह कूल है, चिल्ड हैं, हा हा, बॉर्डर पर पूअर सोल्जर भी ऐसे हों, पाक और चीन दुश्मन हैं, वह प्रोटेक्ट कर रहा है जबकि आप आंतकवादी और एंटी नेशनल पर मजा ले रहे हैं, काश उस युवती का अपराध सिर्फ इतना था कि वह सड़क पर अकेली थी और उसके साथ बलात्कार कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया, वह शायद एक सज्जन और दयालु इंसान थी जो मानवता से प्यार करती थी लेकिन क्या उसकी मानवता का बदला लिया गया? काश सभी लुटेरों और अपराधियों में भी इस शांत और सोई हुई पीढ़ी जैसा प्यार और स्नेह होता लेकिन जीवन की सच्चाई कुछ और है, चिंता मत करो वो आपके लिए आ रहे हैं, अगर हममें से भी कुछ लोग आपकी तरह कूल बन जाएं तो वो आपको पा लेंगे और तब आपको पता चलेगा कि अनकूल लोगों की अहमियत क्या होती है .