नई दिल्ली।
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में अंतरिम सरकार के गठन के साथ ही यह सवाल उठने लगे थे कि क्या भारत के साथ संबंध पहले जैसे रहेंगे। यूनुस सरकार ने पहले बयान में भारत के साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखने की बात कही थी, लेकिन हालिया फैसले इसके विपरीत दिख रहे हैं।
MoU की समीक्षा करने पर विचार
यूनुस सरकार के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने कहा है कि सरकार भारत के साथ किए गए MoU की समीक्षा कर सकती है। यदि शेख हसीना के कार्यकाल में हुए MoU बांग्लादेश के लिए फायदेमंद नहीं होंगे, तो उन्हें रद्द किया जा सकता है।
शेख हसीना पर MoU को लेकर विवाद
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नई सरकार का मानना है कि शेख हसीना ने भारत के लाभ के लिए MoU पर हस्ताक्षर किए हैं। जून में शेख हसीना के भारत दौरे के दौरान, दोनों देशों के बीच 10 MoU पर हस्ताक्षर हुए थे, जिनमें से 7 नए और 3 रिन्यू किए गए थे।
रेल ट्रांजिट समझौता: दोनों देशों के लिए फायदेमंद
इन MoU में सबसे अहम समझौता रेल ट्रांजिट से जुड़ा था, जिससे भारत और बांग्लादेश दोनों को फायदा होता। बांग्लादेश की ज़मीन का इस्तेमाल कर भारत यात्री और मालगाड़ियों को एक हिस्से से दूसरे हिस्से में भेज सकता था, जिससे समय और लागत में बचत होती।
नई सरकार के आने के बाद समझौतों पर मंडराते संकट
5 अगस्त को बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और भारत में शरण ली। नई सरकार की कार्यशैली पर अब दुनियाभर की नज़रें हैं, और इन समझौतों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
भारत-बांग्लादेश के रिश्तों पर नए समीकरण
अंतरिम सरकार की नीतियों और शेख हसीना के प्रत्यर्पण की संभावनाओं को देखते हुए, यह सवाल उठता है कि क्या यह भारत पर दबाव बनाने की कोशिश है। शेख हसीना के भारत में रहने और अंतरिम सरकार के MoU की समीक्षा के फैसले के बीच कोई कनेक्शन हो सकता है।
शेख हसीना की स्थिति और भारत के साथ संबंध
शेख हसीना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द हो चुका है, और वह भारत में ही शरण लिए हुए हैं। भारत के साथ उनके संबंध अच्छे रहे हैं, लेकिन भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि शेख हसीना भारत में कब तक रहेंगी, यह उनका व्यक्तिगत फैसला होगा। ऐसे में भारत सरकार यूनुस की अंतरिम सरकार के साथ संबंध सुधारने का प्रयास तो करेगी, लेकिन शेख हसीना की कीमत पर नहीं।