नई दिल्ली।
मां वो होती है जो अपने बच्चों को जन्म देती है। जो अपने बच्चों को पाल-पोस कर बड़ा करती है। जो आवाज सुनकर ही अपने बच्चों की तकलीफ को महसूस कर उनके पास दौड़ी चली जाती। इतना सब करने के बाद भी एक मां की चिंता कभी खत्म नहीं होती है। लेकिन फिर भी कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो लालच में अंधे होकर ये भूल जाते हैं कि जिनसे वो नफरत कर रहे हैं वो और कोई नहीं बल्कि उनकी अपनी मां है। ऐसा ही एक मामला राजधानी दिल्ली में सामने आया है। जहां बेटा-बहु प्रॉपर्टी के लिए बूढ़ी मां को परेशान करते थे. इस ममाले पर सीनियर सिटिजंस के रहने के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल की आवश्यकता पर बल देते हुए, दिल्ली हाई कोर्ट ने 80 साल की महिला के बेटे, बहू और पोते-पोतियों को उस घर को खाली करने का आदेश दिया है, जहां वे एक साथ रह रहे थे।
बुढ़ापे में बच्चे ही मां-बाप का सहारा होते हैं, लेकिन प्रॉपर्टी के लालच में बेटे ने सभी हदें पार कर दीं। महिला ने बेटे और बहू पर उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि उनके पुत्र और पुत्रवधू उन्हें तकलीफ पहुंचाते हैं। साथ ही दोनों के बीच वैवाहिक मनमुटाव से भी लगातार असुविधा और तनाव बना रहता है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने घर खाली करने का दिया आदेश
याचिकाकर्ता ने ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम’ के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि वो संपत्ति की इकलौती और पंजीकृत स्वामी हैं और उनके बेटे और बहू किसी ने भी उनकी या उनके पति की देखभाल नहीं की। पूरी बात सुनने के का बाद जज ने कहा, ‘ये मामला एक बार-बार होने वाले सामाजिक मुद्दे को उजागर करता है, जहां वैवाहिक कलह न केवल दंपति के जीवन को बाधित करता है, बल्कि वरिष्ठ नागरिकों के जीवन जीवन में भी काफी प्रभाव डालता है। ‘ कोर्ट ने महिला को परेशान करने वालों की निकाल दी हेकड़ी। जज ने बेटे, बहू और पोते-पोतियों को उस घर को खाली करने का आदेश दिया है, जहां वे एक साथ रह रहे थे।