मेरठ।
पौराणिक कथाओं में अपने उसे श्रवण कुमार का नाम तो सुना ही होगा जिसने अपने अंधे माता-पिता कोअपने कंधों पर कावड़ के रूप में तीर्थ यात्रा कराई थी। तभी से श्रवण कुमार एक ऐसा नाम रहा जो अपने माता-पिता की सेवा करने के नाम पर उनके नाम की कसम तक खाई जाती है।
आज कलयुग चल रहा है और कलयुग में हरिद्वार से गंगाजल के साथ अपने माता-पिता को अपने कंधों पर लेकर मुज़फ्फरनगर पहुंचा कलयुग का यह श्रवण बिट्टू गुर्जर बता रहा है कि ये उसका सपना था कि जिस तरह त्रेता युग मे एक श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता पिता को तीर्थ यात्रा कराई थी उसी से प्रेरणा लेकर वह भी अपने माता पिता को हरिद्वार से गंगा जल के साथ कावड़ के रूप मे लेकर चला है 180 किलो मीटर की उसकी यात्रा है ।
उनका गांव जनपद मेरठ मे पड़ता है, वंही कलयुग के श्रवण के माता- पिता राजेश देवी व रणवीर कहते है कि भगवान ऐसा बेटा सभी के घर मे पैदा करे उन जैसा बेटा हर किसी के घर में पैदा होना चाहिएउन्हें बहुत अच्छा लगारहा है कि उनका बेटा उन्हें हरिद्वार में गंगा जी में महिला कर लेकर आया है और इसके साथ ही अपने कंधों पर लेकर जा रहा है।