Sunday, March 16, 2025
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58 साल पहले इंदिरा ने लगाया था प्रतिबंध, अब मोदी 3.0 ने हटाया-  अब सरकारी कर्मचारी भी ले सकेंगे RSS के कार्यक्रमों में भाग

by Watan Kesari
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नई दिल्ली।

RSS :- केंद्र सरकार सरकारी कर्मचारियों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध वाला आदेश वापस ले लिया है। इसके बाद अब सरकारी कर्मचारी भी संघ के कार्यक्रमों में भाग ले सकेंगे। इस बारे में भारतीय जनता पार्टी के नेता अमित मालवीय ने बाकायदा घोषणा की। मालवीय ने कहा कि 1966 में प्रतिबंध लगाने वाला आदेश वापस ले लिया गया है। 

अपने एक्स हैंडल पर मालवीय ने आदेश वापस लेने सम्बंधित दस्तावेज शेयर करते हुए कहा कि इस आदेश को पारित ही नहीं किया जाना चाहिए था। ये पूरी तरह असंवैधानिक था। उन्होंने कहा कि यह प्रतिबंध इसलिए लगाया गया था क्योंकि 7 नवंबर 1966 को संसद में गोहत्या के खिलाफ़ एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था। इसके लिए आरएसएस-जनसंघ ने लाखों लोगों का समर्थन जुटाया था।  इस दौरान पुलिस की गोलीबारी में कई लोग मारे भी गए थें।

कांग्रेस और बीजेपी फिर भिड़ीं:

बीजेपी आईटी सेल प्रमुख ने आगे कहा कि 30 नवंबर 1966 को आरएसएस-जनसंघ के प्रभाव से हिलकर इंदिरा गांधी ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। मालवीय ने  किया कि इंदिरा गांधी ने फरवरी 1977 में आरएसएस से संपर्क किया और अपने चुनाव अभियान के लिए समर्थन के बदले प्रतिबंध हटाने की पेशकश की।  

इससे पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में बैन हटाने को लेकर कहा था कि देश के पहले गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल ने महात्मा गांधी की हत्या के बाद फरवरी 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके बाद अच्छे व्यवहार के आश्वासन पर प्रतिबंध हटा लिया गया था, लेकिन आरएसएस ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया।

1966 में गौहत्या पर हुआ था ज़बरदस्त हंगामा:

बता दें कि 7 नवंबर 1966 को आरएसएस ने गौ रक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर गाय की हत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर संसद का घेराव किया था। इस आंदोलन का आयोजन सर्वदलीय गो-रक्षा महासमिति ने किया था। इस आंदोलन में कई हिंदू संगठन और साधु संत समेत लगभग 125,000 लोग शामिल हुए थे।इस दौरान उन्होंने दिल्ली की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया। आंदोलन के दौरान हिंसा भड़क गई और पुलिस को आंसू गैस, लाठीचार्ज और गोलीबारी करने पड़ी. इस घटना में एक पुलिसकर्मी और सात आंदोलनकारी मारे गए थे। बताया जाता है कि 

इस घटना के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर बैन लगाने का आदेश जारी कर दिया। 

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