ओरछा।
ओरछा बुंदेलखण्ड क्षेत्र की खूबसूरत और दिलचस्प जगहों में से एक है, यह बेतवा नदी के किनारे बसा हुआ है। ओरछा भारत के मध्यप्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित है। जो कि उत्तर प्रदेश के झांसी जिले से मात्र 15 किलोमीटर दूर है। ओरछा निवाड़ी जिले का मुख्यालय है।
इतिहास
इतिहास के पन्नों में यह जगह बहुत गौरवशाली है। ओरछा के किले की स्थापना 15 वीं शताब्दी में रुद्र प्रताप सिंह जूदेव बुन्देला ने की थी। इस जगह की सबसे दिलचस्प कहानियां राम राजा मंदिर और राजा हरदौल की हैं। कहा जाता है कि 16 वीं शताब्दी में ओरछा के बुंदेला शासक मधुकरशाह की महारानी कुंवरि गणेश अयोध्या से रामलला को ओरछा ले कर आई थीं।
राम राजा मंदिर
ओरछा की धड़कन में भी राम विराजमान हैं। राम यहां धर्म से परे हैं। यहां लोग भगवान राम को अपना राजा मानते हैं। जब महारानी श्री राम से अयोध्या चलने का निवेदन करती हैं, तो श्रीराम उनके सामने तीन शर्तें रखते हैं। जिनमें से एक यह थी की जहाँ वो जाएंगे वहां के राजा सिर्फ श्री राम ही होंगे और कोई नहीं होगा। महारानी कुंवर गणेश उनकी शर्तें मान लेती हैं। इसलिए यहां श्रीराम राजा मंदिर इतिहास में बहुत प्रसिद्ध है। और श्री राम को यहां का राजा कहा जाता है।

राजा हरदौल की कहानी
यह कहानी भाई बहन के अटूट प्रेम को दर्शाती है। हरदौल की बहन कुंजावती अपनी बेटी की शादी में रोते हुए हरदौली की समाधि पर भात मांगने गई की। कहा जाता है कि सच में हरदौल की आत्मा अपनी भांजी की शादी में भात ले कर गई थी। तभी से बुंदेल खंड में कोई भी शादी होती है तो सबसे पहला निमंत्रण हरदौल को ही दिया जाता है।
आकर्षण
1. ओरछा में स्थित जहांगीर महल बुंदेला राजपूतों और मुगल शासक जहांगीर की दोस्ती की निशानी है, जो कि यहां का मुख्य आकर्षण का केंद्र है।
2. राज महल ओरछा का सबसे प्राचीन स्मारक है। यह महल छतरियों और बेहतरीन आंतरिक भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है।
3. फूलबाग बुंदेला राजाओं द्वारा बनवाया गया बहुत सुंदर फूलों का बगीचा है। जो कि वर्तमान में पिकनिक स्पॉट के लिए प्रसिद्ध है। फूलबाग में एक भूमिगत महल और आठ खम्भों वाला मंडप है।
4. राज महल के पास ही चार भुजाधारी भगवान विष्णु का चतुर्भुज मंदिर है। यह भी ओरछा के आकर्षण केंद्रों में से एक है। ओरछा में यह स्थान पर्यटन के लिए बहुत श्रेष्ठ है।
5. यहां की सावन भादों मीनारों के बारे में एक कथा प्रचलित है कि सावन और भादों महीने के बीच दोनों मीनारें आपस में मिल जाती हैं।

लेखिका:- सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश