नई दिल्ली
साथ ही नए मंत्रियों को उनके विभाग भी दे दिए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, किसी भी अन्य तथ्य की तुलना में संगठनात्मक निष्ठा पर जोर दिया गया है, साथ ही पहली बार विधायक बने दो है, जो शुरू से ही पार्टी के सदैव साथ खड़े रहे हैं, दिल्ली मंत्रिमंडल में उतने ही पद दिए गए हैं, जितने पूर्व कांग्रेस के दो मंत्रियों और आप के एक मंत्री को दिए गए हैं।
संघ की पसंद दोनों ही विकल्पों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। रविन्द्र इंद्राज सिंह और पंकज कुमार सिंह, जो क्रमशः आरक्षित बवाना विधानसभा और विकासपुरी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले भाजपा में शामिल हुए आप के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत अब बिजवासन से विधायक हैं। गांधी नगर के विधायक अरविंदर सिंह लवली और मंगोलपुरी के विधायक राजकुमार चौहान है, जो शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में लगातार शामिल रहे, फिलहाल नजरअंदाज कर दिया गया है।
गहलोत आप सरकार में सबसे वरिष्ठ मंत्री थे। जिन्होंने इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। सूत्रों ने बताया कि उन्हें किसी सरकारी बोर्ड या प्राधिकरण का प्रमुख बनाने पर विचार किया जा रहा है। कैबिनेट पदों के अलावा, स्वायत्त निकायों और बोर्डों में प्रमुख पद, जैसे दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष और दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग, अभी भरे जाने बाकी हैं। चौहान चार बार के पूर्व विधायक हैं, जिन्होंने दीक्षित के नेतृत्व वाली दिल्ली कैबिनेट में तीन बार सेवा की।
1998 में लवली दिल्ली के सबसे युवा विधायक बने और पांच साल बाद 30 साल की उम्र में दीक्षित सरकार में सबसे युवा मंत्री बने। तत्कालीन मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र माने जाने वाले लवली को उनके तीन कार्यकालों के दौरान शिक्षा, परिवहन और शहरी विकास जैसे प्रमुख विभाग मिले। उनके कार्यकाल के दौरान ही दिल्ली की बदनाम ब्लूलाइन बसों को हरी, लाल और नारंगी लो-फ्लोर बसों से बदल दिया गया था।
लवली उस समय शिक्षा मंत्री थे, जब दिल्ली निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए 25% आरक्षण लागू करने वाली पहली राज्य बनी थी। जब 2012-13 में पहली बार अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की मंजूरी दी गई थी, तब वे शहरी विकास मंत्री थे। हालांकि इस योजना को केंद्र की मंजूरी मिलने और जमीन पर लागू होने में लंबा समय लगा, जो 2018-19 में हुआ जब केंद्र में भाजपा सत्ता में थी। कथित भ्रष्टाचार को लेकर आप द्वारा निशाना बनाए जाने के बावजूद लवली ने 2013 में आप को बाहरी समर्थन देने में भूमिका निभाई थी, जिससे वह 49 दिनों तक सरकार बनाने में सक्षम हुई। जब 2015 के विधानसभा चुनावों में आप ने पार्टी को करारी हार दी थी, तब वह दिल्ली कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे थे। इसके बाद लवली ने पहली बार डीपीसीसी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, साथ ही भाजपा में शामिल हो गए। कुछ ही महीनों के भीतर वह कांग्रेस में वापस आ गए, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले फिर से भाजपा में चले गए।
2022 और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले अन्य नेताओं में तरविंदर सिंह मारवाह शामिल हैं,
जिन्होंने जंगपुरा में आप के मनीष सिसोदिया को हराया, साथ ही नीरज बसोया जो कस्तूरबा नगर से चुने गए और नसीब सिंह जिन्हें इस बार टिकट नहीं मिला।
हाल ही में भाजपा में शामिल हुए एक वरिष्ठ राजनीतिक नेता ने कहा कि ऐसा कोई मुद्दा नहीं है (सात सदस्यीय मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने के संबंध में) हमें न तो किसी कैबिनेट पद की उम्मीद थी और न ही हमें यह बताया गया था (कि हमें पद मिलेगा)। हम भाजपा में इसलिए शामिल हुए थे, क्योंकि हम देश के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण से सहमत थे, न कि व्यक्तिगत लाभ के लिए।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि वरिष्ठ नेता, जो शुरू से ही पार्टी के साथ थे और जो बाद में इसमें शामिल हुए, उनको संसदीय सचिवों, बोर्डों और दिल्ली सरकार के तहत स्वायत्त संस्थानों जैसे पदों पर समायोजित किए जाने की संभावना है। इन सब के अलावा राजनीतिक पंडितों की मानें तो इनका कहना है कि हाल ही में अन्य दल छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले से ज्यादा जो पार्टी के लिए निरंतर संघर्षशील रहें और विजयी होकर विधायक बने उनको ज्यादा तवज्जो देनी चाहिए।