गाजियाबाद।
गाजियाबाद के शोरूम से 19 दिन पहले 3 करोड़ रुपए की ब्रांडेड घड़ियां चोरी होने के मामले में पुलिस ने चादर गैंग (घोड़ासहन) से जुड़े 2 शातिर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। इनसे 125 घड़ियां रिकवर हुई हैं, जिनकी कीमत करीब 46 लाख रुपए है। ये पूरा गैंग वारदात के दौरान कोड वर्ड में बात करता है। जो लोग शटर उखाड़कर शोरूम में अंदर जाते हैं, उन्हें प्लेयर बोलते हैं। दुकान के शटर के बाहर चादर लगाने को छप्पर कहा जाता है। सड़क पर निगरानी करने वालों को फील्डर कहते हैं। इस गिरोह का ऑपरेशन बिहार से होता है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट और राजस्थान में इस गिरोह के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। डीसीपी निमिष पाटील ने बताया- इंदिरापुरम में साईं क्रिएशन शोरूम है। 10 अगस्त की रात शोरूम शटर के आगे चादर लगाकर चोरों ने घड़ियां चोरी की थीं। पहले बदमाशों ने शटर उखाड़ा, फिर सब अंदर घुस गए। ब्रांडेड घड़ियां चोरी की गईं। इनकी कीमत करीब 3 करोड़ रुपए थी। इस चोरी के खुलासे में सीसीटीवी से ही मदद मिली। जो संदिग्ध युवक फुटेज में नजर आए। फिर कुछ दिन पहले भी रंगाई-पुताई के बहाने इस इलाके में मूवमेंट करते दिखे थे। इसके बाद क्राइम ब्रांच और स्वाट टीम ने गुरुवार को 2 आरोपियों को पकड़ा। पुलिस ने इनके नाम संतोष जायसवाल और रोहित पासवान बताया। दोनों बिहार में मोतिहारी पूर्वी चंपारण स्थित घोड़ाहसन इलाके के रहने वाले हैं। दरअसल, बिहार का घोड़ासहन गैंग पूरे देश में चोरियां करता है। पुलिस पूछताछ में संतोष जायसवाल ने बताया- मैं बिहार में घोड़ासहन का रहने वाला हूं। वहां ठेले पर मुर्गा-मछली फ्राई करके बेचता था। इसमें ज्यादा मुनाफा नहीं था। घोड़ासहन में कई गिरोह हैं, जो पूरे देश में अलग-अलग तरह की चोरियां करते हैं। इनमें से मैं सचिन और सिराज गैंग के साथ काम करने लगा। दूसरे आरोपी रोहित पासवान ने बताया – मैं घोड़ासहन में मुर्गा-मछली फ्राई का काम करता हूं। पहले नईम उस्ताद और विजय गैंग के लिए काम करता था। महाराष्ट्र के ठाणे में मोबाइल शोरूम चोरी मामले में गैंग सरगना के जेल जाने पर मैं भी अब सचिन-सिराज गैंग से जुड़ गया था। दोनों आरोपियों ने बताया- गैंग का एक सदस्य सबसे पहले शोरूम की रैकी करता है। उसके बाद गैंग के बाकी सदस्य वहां पहुंचकर आस-पास एरिया में मजदूरी या पुताई का काम शुरू कर देते हैं। घटना से पहले सभी लोग अपने-अपने मोबाइल रखकर जाते हैं। शोरूम पर पहुंचने के बाद उसके शटर पर एक चादर टांग देते हैं। इसके बाद शटर को उखाड़कर कुछ सदस्य अंदर घुसकर चोरी कर लेते हैं। चादर टंगी होने से सड़क से गुजरने वाले व्यक्ति की नजर उसके अंदर हो रहे घटनाक्रम पर नहीं जाती है। आरोपियों ने बताया- चोरी का ज्यादातर माल वो नेपाल में बेचते हैं। घोड़ासहन भी नेपाल बॉर्डर पर है। जब चोरी के माल का बंटवारा होता है, तब सबसे बड़ा हिस्सा रैकी करने वाले व्यक्ति को जाता है। गाजियाबाद में घड़ियों के शोरूम में चोरी करने वाला गैंग 20-22 दिन पहले ही नोएडा सेक्टर-63 में आकर रहने लगा था। वो यहां किराए के मकान में रहकर पुताई का काम कर रहे थे। इसी बीच पूरे गैंग ने रैकी कर ली और वारदात को अंजाम दे डाला। इस घटनाक्रम में अभी सिराज, जितेंद्र उर्फ जीतन साहनी, रोशन, राहुल पासवान, जीतन पासवाल सहित नेपाल के सचिन, प्रमोद और आसामी उर्फ संतोष शामिल रहे हैं। पुलिस ने बताया कि फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
चादर गैंग ने चुराई थीं 3 करोड़ की घड़ियां फिल्डर, प्लेयर और छप्पर जैसे कोर्ड वर्ड से चलाते थे ऑपरेशन; बिहार से जुड़ा कनेक्शन
77