नोएडा।
अमेरिकी नागरिकों के साथ ठगी करने एक व्यक्ति के दो कॉल सेंटर को थाना-फेज 3 और थाना सेक्टर-63 पुलिस ने पकड़ा है। इन दोनों कॉल सेंटर से 43 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जिसमें युवतियां भी शामिल है। ये लोग ई मेल ब्लास्टिंग कराते थे। यानी एक साथ लाखों ई मेल पर एक बग भेजते थे। मेल पर क्लिक करते ही कंप्यूटर और लैपटॉप पर खराबी आनी शुरू होती थी। इस समस्या के निपटारे के लिए एक लिंक दिया जाता है। ये लोग सैकड़ों अमेरिकी नागरिक के साथ ठगी कर चुके है। ये दोनों कॉल सेंटर सागर नाम का आरोपी चला रहा था।
43 गिरफ्तार: साहिल, मोहित सहित युवाओं पर कार्रवाई
डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि दोनों ही मामलों में 43 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें नौ युवितयां शामिल है। इनकी पहचान साहिल, मोहित, निखिल, पार्थ, कैलाश रावत, प्रज्ववल, सुमित मिश्रा, चेतन भारद्वाज, गौरव, नीरज, शुभम, उमेश, सर्जल, उज्जवल, सागर, आर्दश, युनुस, अनुराग निषाद, युनाफ अहमद, शिवम, प्रीती, निशा वर्मा, काजल, नाहिद कमाल, नीलम, नीलम पुत्री किशोरी लाल, वोययनू, होयजलहिंग, सोनाली, आजम सैय्यद, तंगजैंग, अरुण राय,कुजोनेजो वैरो, उथोंग, गंवूहम सैम्प, खुपलू झो, सावेनी, केहिच ग्रेसन, बेल खुदाय, वरुण, कार्तिक, हर्ष कुमार, रमन कुमार शामिल है।
फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश: साइबर ठगों ने अमेरिका के नागरिकों को ठगा
डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि इस लिंक पर क्लिक करते ही ये लोग उनके सिस्टम पर एक पोप-अप मैसेज भेजते थे। कस्टमर उस पोप-अप मैसेज के लिंक से हम लोगों को कॉल करते है। आईवीआर कालिंग के जरिए हम उनसे जुड़ जाते है। उनके सिस्टम को एक्सिस करने के लिए हमारे सभी लैपटॉप में एक्सलाइट या वीसी डायल साफ्टवेयर है। उनके कम्प्यूटर को अपने कंट्रोल में लेने के लिए टीम विवर, एनी डेस्क और अल्ट्रा विवर के जरिए लेकर। उनके बैंक खातों की जानकारी हासिल करते थे। साथ ही सिस्टम को ठीक करने के लिए सर्विस चार्ज के रूप में मोटी रकम ली जाती है। पैसे लेने के लिए या तो बारकोड भेज कर बिट क्वाइन और क्रिप्टो करेंसी में ट्रांसफर करा लेते है। इन दोनों काल सेंटर से करीब 50 से ज्यादा लैपटॉप बरामद किए गए है। एक बार अमेरिकी नागरिको का एक्सिस मिलने पर ये अपने को माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफाइड साइबर एक्सपर्ट बताते है। विश्वास में लेने के लिए फेडरल रिजर्व सिस्टम के नाम का फर्जी दस्तावेज भेजकर ही उनसे पैसे की डिमांड करते थे। अगर इस दौरान बीच में काल कट जाए तो हम फोन पर इंस्टाल की गई टेक्स्ट नाओ एप व लाइन टू के माध्यम से वापस कॉल करते है। काम होने के बाद उस एप का डाटा डिलीट कर देते है।
आरोपियों ने आगे बताया गया कि उनके कंप्यूटर में मौजूद आईवीम साफ्टवेयर तथा एक्सलाईट डॉयलर के जरिये कॉल प्राप्त की जाती है। विदेशी नागरिकों की कॉल हमेशा कॉल सेंटर के मालिक द्वारा लैंड कराई जाती है। इसके बाद अमेरिकी नागरिकों को सोशल सिक्योरिटी नंबर से संबंधित आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने का डर दिखाया जाता है। जेल जाने की धमकी दी जाती है। डर दिखाकर ही विदेशी नागरिकों से क्रिप्टो करेंसी और गिफ्ट कार्ड के जरिये रकम हासिल होती है। सभी कंप्यूटर को कॉल सेंटर का मालिक सागर शर्मा एनी डेस्क ऐप के जरिए नियंत्रित करता है। सरगना सागर ही रोजाना कर्मचारी को वीआईसीआई डॉयल सॉफ्टवेयर की आईपी भेजता है। इसके बाद सभी कंप्यूटरों में आईपी एड्रेस डालकर उसे लॉगइन किया जाता है। हवाला के जरिये रकम सरगना तक पहुंचती है। आरोपी नाम बदलकर मोबाइल और लैपटॉप से आईवीआर कोड द्वारा बातचीत करते हैं। इन लोगों ने फर्जी यूएस मार्शल आईडी बन रखी है। इन आईडी का उपयोग करने की की जानकारी सिर्फ पार्थ, मोहित व युनाफ के पास ही थी। सभी कम्प्यूटर में मौजूद आईवीम साफ्टवेयर, एक्सलाइट, आईबीम डायलर का प्रयोग करके कॉल प्राप्त करते हैं। अमेरिकी नागरिक बताते थे आपका सोशल सिक्योरिटी नंबर आपराधिक गतिविधियों में लिप्त है। इसका डर दिखाकर उनको बार कोड भेजकर बिट क्वाइन के रूप में पैसे मंगवाते है। पकड़े गए सभी आरोपियों में नार्थ ईस्ट के सबसे ज्यादा युवा है। उन्होंने बताया कि इनकी बात करने का तरीका और अंग्रेजी पर कमांड ज्यादा होती है। ये इस तरह से बात करते है जैसे अमेरिकी नागरिक की बात कर रहा हो। इसलिए आसानी से अमेरिकी नागरिक इनके बहकावे में आ जाता था।