दिल्ली।
देशभर में माता के भक्तों द्वारा नवरात्रि का आयोजन बड़ी ही श्रद्धापूर्वक किया जाता है। इसी कारण दिल्ली का झंडेवाला देवी मंदिर लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है। भक्तों की इसी आस्था को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था, भजन कीर्तन और प्रसाद का विशेष प्रबंध कराया है। इस मंदिर में सुंदर लाइटिंग होने की वजह विशेष रूप से नवरात्रों में जगमगाहट रहती है। नवरात्रों के दिनों में यह मंदिर 24 घंटे खुला रहता है।
भक्तों के लिए जलपान और भोजन का विशेष प्रबंध
नवरात्रि के दिनों में मंदिर में आने वाले भक्तों को उत्सव का माहौल और आनंद की अनुभूति होती है। मंदिर में दोपहर के समय भंडारा भी लगता है जिसमें व्रत वाला भोजन भी उपलब्ध होता है। इसके बाद बाहर निकलते ही भक्तों के लिए चाय और रस का भी इंतजाम किया जाता है। साथ ही मंदिर की एग्जिट के पास जलपान की व्यवस्था है। साथ ही मंदिर परिसर के अंदर एक मेडिकल टीम भी मौजूद रहती है।
भक्तों की सुविधा के लिए किए गए कई व्यापक प्रबंध
झंडेवाला टेंपल सोसायटी के अतिरिक्त प्रबंधक रविंद्र गोयल ने बताया कि मंदिर प्रबंधन ने आने वाले भक्तों की सुविधा को ध्यान मे रखते हुए व्यापक प्रबंध किये हैं, जिन में मुख्यत: रानी झांसी मार्ग, पुराना नाज सिनेमा व फ्लैटिड फैक्ट्री कोम्पलेक्स में भक्तों के वाहन खड़े करने की निःशुल्क व्यवस्था की है। मंदिर में बीते कुछ वर्षों से मेहंदी कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। जहां मंदिर ट्रस्ट की ओर से बालिकाओं और महिलाओं को निशुल्क मेहंदी लगाई जाती है।
माता के दर्शनों के लिए ऑनलाइन दर्शन बुकिंग की व्यवस्था

मंदिर में बाहर से प्रसाद, फूलमाला व किसी अन्य वस्तु का लाना निषेध है। पूरे 9 दिन विभिन्न कीर्तन मंडलियों द्वारा मुख्य प्रांगण में मां का गुणगान किया जाता है। भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर की ओर से online दर्शन बुकिंग की व्यवस्था भी की गई है, जिसे वे मंदिर की वेबसाइट से बुक कर सकते है और अपने निर्धारित समय पर विषेश प्रवेश द्वार से सीधे मंदिर में प्रवेश करते हैं।
भक्तों का इस मंदिर में अटूट विश्वास है वह यहां से माता रानी की ज्योत लेकर के जाते हैं और अपने घरों में जलाते हैं। उनके लिए भी मंदिर कमेटी द्वारा विशेष इंतजाम किए जाते हैं। पिछले वर्ष नवरात्रों के दिनों में 15000 से ज्यादा संख्या में लोग जोत लेने आए थे। मंदिर में मौजूद गुफा के अंदर करीब 60 वर्षों से अखंड ज्योत जल रही है।
छ: स्थानों पर भक्तों के लिये जूता स्टैंड बनाये गये हैं. सुरक्षा व्यवस्था व्यापक रूप से की गयी है। पूरे परिसर और आसपास पास 260 सीसीटीवी लगाये गये है। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्र की सज्जा भी आकर्षण का केंद्र है। मंदिर में सुबह 4 बजे और शाम 7 बजे आरती होती है। मां झण्डेवाली की पूजा-अर्चना का सीधा प्रसारण मंदिर द्वारा यू-टयूब चैनल, फेसबुक व मंदिर की वैबसाइट पर जाता है।
एक भक्त विशेष के द्वारा कराया गया था मंदिर का निर्माण
रविंद्र गोयल ने कहा कि मंदिर करीब ढाई हजार गज क्षेत्रफल में बना हुआ है. मंदिर का इतिहास करीब डेढ़ सौ साल पुराना है। पहले यहां अरावली की पहाड़ियां हुआ करती थी और वॉल सिटी के लोग यहां घूमने आया करते थे. इन्हीं में एक थे बद्री दास जी जिनका कपड़े का व्यापार था। वह भी इन पहाड़ियों पर घूमने आते थे. भगवान का ध्यान किया करते थे. इसी दौरान उन्हें आवाज आई कि ‘मुझे यहां से निकालो’. जब ऐसा दो-तीन बार हुआ तो उन्होंने उस स्थान पर खुदाई करनी शुरू की. खुदाई के दौरान उनको एक मूर्ति मिली. लेकिन वह खंडित थी उसका एक हाथ नहीं था तभी थोड़ा और आगे खुदाई करने पर एक शिवलिंग प्राप्त हुआ जिसमें दो सर्प लिपटी हुई आकृति हुई थी.

गोयल ने बताया कि बद्रीनाथ जी ने माता की खंडित मूर्ति पर चांदी का हाथ लगाकर उसे स्थापित किया. इसके साथ ही उसी के ऊपर एक संपूर्ण प्रतिमा के साथ मां दुर्गा की मूर्ति को भी स्थापित किया. पहले मंदिर का आकार काफी छोटा हुआ करता था और मंदिर के ऊपर बने शिखर पर एक झंडे को लगाया गया. झंडा इस बात का प्रतीक था कि यहां एक मंदिर है, तभी लोग यहां घूमने आया करते थे और इस मंदिर को झंडा वाला मंदिर के नाम से बुलाते थे. तभी से यहां विराजित माता का नाम झंडेवाला माता पड़ा.
मंदिर कैसे पहुंचे ?
अगर इस नवरात्रि आप भी झंडा वाला मंदिर आना चाहते हैं तो यहां पहुंचना बेहद आसान है. यहां पहुंचने के लिए दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के बस स्टॉप झंडेवालान पहुंचकर आसानी से मंदिर परिसर पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा दिल्ली मेट्रो का झंडेवालान मेट्रो स्टेशन भी मंदिर के बेहद नजदीक है. मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान करने के लिए मंदिर प्रबंधन कमेटी ने मैट्रो से आने वाले भक्तो के लिए अनेक निशुल्क ई-रिक्शा लगाए गए है.