हिंदी पर व्याख्यान और कवि सम्मेलन में पहुंचे देश तमाम शब्द-साधक
नोएडा।
हिंदी पखवाड़ा के अवसर पर बरौला, नोएडा स्थित “साहित्य सदन” के ‘काव्य भवन’ सभागार में “साहित्य वेलफेयर कल्चरल एंड स्पोर्ट्स फेडरेशन” तथा “राष्ट्रीय कवि पंचायत मंच” के संयुक्त तत्वावधान में आज के अंग्रेजी युग में युवा पीढ़ी हेतु हिंदी भाषा का महत्व से संबंधित “हिंदी की दिशा, दशा तथा भविष्य ” विषय पर हिंदी मर्मज्ञ व साहित्य मनीषी वक्ताओं द्वारा समीक्षा, चर्चा परिचर्चा व व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसी के साथ कार्यक्रम में हिंदी में उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का प्रोत्साहन समारोह और एक भव्य कवि सम्मेलन भी आयोजित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि बाबा कानपुरी ने की । तो वहीं कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ठाकुर एन पी सिंह (डी डी आर डब्ल्यू ए) , विशिष्ट अतिथि के रूप में किशोर श्रीवास्तव (कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के पूर्व राजभाषा निदेशक व वरिष्ठ साहित्यकार) , सुप्रसिद्ध अंतराष्ट्रीय कवियत्री मधुमोहिनी उपाध्याय और वीरेश तिवारी (ट्रिब्यूनल जज- शिकायत निवारण समिति नोएडा प्राधिकरण) उपस्थित रहे। कार्यक्रम में माल्यार्थ फाउंडेशन की को-चेयर पर्सन आकांक्षा, अयोध्या से पधारे नवसृजन सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष के. सी. श्रीवास्तव की विशेष उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन जाने माने कवि अभिमन्यु पाण्डेय ‘आदित्य’ ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन व माँ शारदे की विधिवत वंदना के साथ की गई।
चलाया जाए हिंदी पढ़ाओ-हिंदी बचाओ अभियान:

“साहित्य वेलफेयर कल्चरल एंड स्पोर्ट्स फेडरेशन” के नेशनल चेयरमैन तथा “राष्ट्रीय कवि पंचायत मंच” के संस्थापक एवं सन 2004 में हिंदी दिवस पर भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से सम्मानित कवि व लेखक पंडित साहित्य कुमार चंचल ने बताया कि हिंदी साहित्य के वर्चस्व को बचाने के लिए सभी साहित्यकारों को एकजुट होकर प्रयास करने की आवश्यकता है। विगत 25 वर्षों से उनका यही उद्देश्य रहा है कि सभी सच्चे साहित्यकार एकजुट होकर एक मंच पर आए और हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित कराने हेतु एक नए आंदोलन की तरफ कदम बढ़ाए। हिंदी हमारी संस्कृति और संस्कार है, इसलिए हिंदी के प्रति आज की पीढ़ी को जागरूक करना बहुत ही आवश्यक बन जाता है।
इस कड़ी में किशोर श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी गर्व का विषय है और अब देश में हिंदी के प्रति जागरूकता भी ख़ूब बढ़ रही है। हिंदी फिल्मों और ओटीटी पर रिलीज हो रहीं तमाम फिल्मों में शुद्ध हिंदी में हास्य और विनोद पटकथा इस बात की सूचक है कि अब युवा पीढ़ी इस भाषा को सम्मान के साथ ग्रहण कर रही है। ऐसे में हम साहित्यकारों की भी ज़िम्मेदारी बन जाती है कि अपनी रचनाओं के माध्यम से सरल, सुंदर और अच्छी हिंदी आने वाली पीढी के लिए संजोएं।
वहीं अपने व्याख्यान में मधुमोहिनी उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने जीवन का अधिकांश समय हिंदी सेवा में व्यतीत किया है। चाहे वो हिंदी अध्यापिका के रूप में या फिर अपनी रचनाओं के माध्यम से , उन्होंने समाज मे हिंदी को विभिन्न स्तरों पर देखा है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में भले ही अंग्रेजी विश्वपटल पर जानी जाती है, लेकिन अब हिंदी भी कुछ कम नहीं है। विदेशों में भी अब हिंदी को सम्मान की नज़र से देखा जाता है। देश के प्रधानमंत्री या कोई भी प्रतिनिधि जब विश्व के किसी भी देश मे जाते हैं, तो हिंदी के प्रयोग से भारत भूमि का मान बढाते हैं। ऐसे में समाज के सभी वर्गों की ज़िम्मेदारी है कि हिंदी के प्रति नन्हे बच्चों में शुरू से ही सम्मान का भाव पैदा करें।
इसी कड़ी में बाबा कानपुरी ने सदन को देवनागरी, नागरी और हिंदी भाषा की जानकारी दी और बताया कि हिंदी की जड़ों का ज्ञान ही आने वाली पीढ़ी को इसके प्रति जुड़ाव देगा। ये सिर्फ पढ़ने या लिखने वाली भाषा ही नहीं है, ये महसूस करने की भाषा है। ये गर्व की भाषा है।
होनहार विद्यार्थियों का हुआ सम्मान:
कार्यक्रम की अगली कड़ी में हिंदी विषय में अच्छे अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया गया। फेडरेशन द्वारा इस बार नोएडा से पांच तथा दिल्ली से एक सहित कुल छह विद्यालयों के हिंदी विषय में उच्चतम अंक प्राप्त करने वाले भिन्न-भिन्न कक्षाओं के दस छात्र छात्राओं का चयन कर उन्हें “हिंदी प्रतिभा सम्मान” के माध्यम से सम्मान प्रतीक, प्रशस्ति प्रमाण पत्र, तिरंगा अंगवस्त्र तथा उपहार भेंट कर सम्मानित किया गया।

सम्मानित होने वाले मेधावी छात्रों में न्यू बाल भारती स्कूल की तेजस्विनी 98% अंक प्राप्त करने वाली सभी प्रतिभाओं में विशेष रूप से प्रथम स्थान पर रही। न्यू बाल भारती स्कूल की ही श्रुति भदोरिया 93% अंक, ग्रीन फील्ड विद्या निकेतन की राखी शर्मा 96% व इशिका 82%, राइजिंग स्टार स्कूल के शिवम कुमार 94% तथा खुशी 93%, एम.एन.बी मॉडर्न स्कूल दिल्ली से श्रेया शर्मा 93.5%, फ्रोबेल पब्लिक स्कूल के रोहित शर्मा 93. 1%, व स्वाति चौहान 92%, महाराणा प्रताप इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन के आदर्श गुप्ता 91% अंक हिंदी में प्राप्त करने वाले छात्र व छात्राएं प्रमुख रहे।
काव्य रस से सराबोर हुआ पूरा सदन:

कार्यक्रम के अंतिम चरण में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से पूरे सदन को काव्य-मय कर दिया। पेश है विभिन्न शब्द-साधकों की झलिकयां….

अपनी पहचान की भाषा
अपने भविष्य की आशा
ये साँसों की सरगम है
ये प्राणों की अभिलाषा ॥
इतनी मीठी है बोली
लगता यूँ मिश्री घोली ।
है विमला सरला सरसा
दमके मुँख पर ज्यों रोली
मधु मोहिनी उपाध्याय

बेटी घर की धूप है, बेटी घर की छांव।
बेटी के पग हों जहां, वहाँ खुशी के गाँव।।
–किशोर श्रीवास्तव, ग्रेटर नोएडा वेस्ट

व्यर्थ,निरर्थक श्रम साधन को सिर पर ढोना ठीक नहीं
बहती हुई अश्रु धारा में नयन भिगोना ठीक नहीं
भले बहुत ही थोड़ा हो पर ख़ुद का भी अस्तित्व रखो
अक्षरशः अक्षरशः सबसे सहमत होना ठीक नहीं।।
–विवेक कुशवाहा

धरती को स्वर्ग जैसा बनाती हैं बेटियां।
दो-दो घरों का मान बढ़ाती हैं बेटियां।।
दिन भर की थकन पल में उतरती है शाम को।
जब दौड़ कर गले से लगाती हैं बेटियां।।
अभिमन्यु पाण्डेय ‘आदित्य’

भारत माँ के माथे पर
चन्द्र बिंदी सी सजी है हिन्दी..!!
भाषाओं की विविधता में
हम सब की पहचान है हिन्दी..!!
हमारी आन हमारी शान
देश का गौरव मान है हिन्दी.!!
विश्व में इसका मान बढ़ाएं
सीखें और सीखाएं हिन्दी..!!
नीलम ‘बावरा मन’

ज़ब अपना ईमान सरकारें खोने लगती हैँ
तब संसद की भी देखो दीवारें रोने लगती हैँ
सतीश दीक्षित

घड़ी हमें बताती है कि चलते रहो आगे सदा…
बीते लम्हो को कहो अलविदा…
जो रुक गए तो भटक जाओगे दिशा…
नहीं जान पाओगे की भोर है या निशा…
क्यूँकि रुकी घड़ी रात और दिन का भेद नहीं बता पाती…
इसलिये वो हमें निरंतर चलते रहना है सिखाती!!!
मणि उपाध्याय

बेटी है घर की रौनक बेटी है आंगन की कली
,मुस्कान से उसके महके हर बगिया हर गली।
आओ करे सम्मान उसका, दे उसको अधिकार,
बेटी है तो कल है, उसका सदा करे सत्कार।
— साधना शर्मा

जो रिश्ते खो दिए हों झूठ की बुनियाद पर यारों
किसी के आंसुओं से भी वो बेहतर हो नही जाते।।
पशेमाँ अपने ही खूँ से हुआ है आज हर इंसा
क्यूँ पलकों के ख़्वाब सारे ये बंजर हो नही जाते।।
प्रिया सिन्हा”सन्दल”

हिंदी दिवस है आया
हमे बुखार चढ़ आया
सोचा आज़ से हम हिंदी ही बोलेंगे
अंग्रेजी को टाटा बाय, बाय कहेंगे
पति शाम को घर जब आए
हम भी हिंदी में मंद,मंद मुस्काये
कहा स्वामी कुछ जलपान ग्रहण करेंगे
या सीधे भोजन के आसान पर बैठेंगे
नीलम गुप्ता।

इस दुनिया में है कितनी प्यारी बेटी!
नाम जहाँ में ही रोशन करती बेटी
सूरत को मत देखो ऐ लोगों इसकी
सीरत से कितनी देखो अच्छी बेटी।।
— गीता शर्मा , दिल्ली