Sunday, March 16, 2025
Home मनोरंजनटेलीविज़न दूरदर्शन का एक शो, जिसके नाम है वर्ल्ड रिकॉर्ड, हफ्तेभर में मिलती थीं 14 लाख चिट्ठ‍ियां, फिर एक दिन डाक विभाग ने….. 

दूरदर्शन का एक शो, जिसके नाम है वर्ल्ड रिकॉर्ड, हफ्तेभर में मिलती थीं 14 लाख चिट्ठ‍ियां, फिर एक दिन डाक विभाग ने….. 

by Watan Kesari
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वतन केसरी डेस्क।

आधुनिकता और रील वाले इस दौर में मनोरंजन के भले ही अनगिनत साधन हो चले हों, लेकिन एक दौर जब मनोरंजन पर टीवी की बादशाहत थी। रामायण, महाभारत , चित्रहार, श्रीकृष्ण , रंगोली आदि जैसे शो देखने के लिए बाकायदा चौपालें लग जाया करती थीं। दूरदर्शन के मतलब ही मनोरंजन था और मनोरंजन का दूसरा नाम ही दूरदर्शन था। इसी कड़ी में एक शो ऐसा भी था, जिसके नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड है। जिसकी दीवानगी इतनी कि डाक विभाग को सरकार से गुहार लगानी पड़ी।

भारतीय संस्कृति को समर्पित शो था ‘सुरभि’:

जी हां , हम बात कर रहे हैं दूरदर्शन पर 90 के दशक में प्रसारित ‘सुरभि’ शो की। 10 साल चले इस शो की पॉपुलैरिटी इस कदर थी कि इसे हफ्ते में 14 लाख पोस्‍टकार्ड चिट्ठ‍ियां मिलती थीं। इस कारण इस शो का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड्स में शामिल है। इस शो के निर्माता सिद्धार्थ काक थे, जो इसे रेणुका शहाणे के साथ को-होस्‍ट भी करते थे।

10 साल में द‍िखाए 415 एपिसोड:

‘सुरभ‍ि’ के निर्माता इसके को-होस्‍ट सिद्धार्थ काक ही थे। इस शो का थीम भारतीय संस्‍कृति था। जहां दर्शकों को देश की अलग-अलग खूबियों और अचरच भरी चीजों के बारे में बताया जाता था। कार्यक्रम के अंत में दर्शकों की भेजी चिट्ठ‍ियां पढ़ी जाती थीं और उनके जनरल नॉलेज के सवालों का जवाब दिया जाता था। 1990 से 2001 तक (1991 को छोड़कर) यह शो 10 साल चला और इसके 415 एपिसोड्स प्रसारित हुए।

डाक विभाग हो गया था परेशान:

बताया जाता है कि ‘सुरभ‍ि’ के लिए पोस्‍टकार्ड भेजने का चलन इस कदर बढ़ गया था कि भारतीय डाक विभाग इससे परेशान हो गया। मजबूरी में विभाग ने 15 पैसे के पोस्‍टकार्ड की जगह 2 रुपये की कीमत पर एक ‘कंपीटिशन पोस्‍टकार्ड’ जारी किया। ताकि ऐसे कार्यक्रमों में हिस्‍सेदारी के लिए लोग उसी का इस्‍तेमाल करे। दरअसल तब पोस्टकार्ड की कीमत करीब 15 पैसे होगी। यह एक सब्सिडी वाला पोस्टकार्ड था। लोग इसका उपयोग पेंशन के लिए, ग्रामीण इलाकों में करते थे। लेकिन इस टीवी शो के कारण पोस्टकार्ड खत्‍म होने लगे। जिसकी शिकायत डाक विभाग ने सरकार से की थी। जिसके बाद पोस्टकार्ड की कीमत बधाई गई।

टेम्पो से लाई गई चिट्ठियां:

बताया जाता है कि एक एक बार अंधेरी पोस्ट ऑफिस से आयोजकों को फोन आया कि उनके पास न तो पोस्टकार्ड रखने की जगह है और न ही भारी मात्रा में पत्र पहुंचाने का साधन है। आकर इसे ले जाइए। जिसके बाद एक टेम्पो-ट्रक किराये पर लिया गया। और सभी खत लाए गए। 

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